गुड़मार पौधे का परिचय

यह प्राकृतिक पौधा भारत देश में बहुत ज्यादा पाया जाता है। भारत के अलावा गुड़मार का पौधा चीन ,श्रीलंका ,अफ्रीका आदि देशों में अत्यधिक मात्रा में विकसित होता है। यह एक बारहमासी जड़ी बूटी है। इस पौधे का आकार बहुत बड़ा होता है यह पर्वतों पर अत्यधिक मात्रा में विकसित होने वाली जड़ी बूटी है| इस जड़ी बूटी का तना कमजोर होता है जो भूरे रंग के बालों से ढका होता है। इस पौधे की पत्तियाँ अण्डाकार होती हैं। जनवरी से मार्च के महीने में गुड़मार के पौधे में फल उगते हैं। इस पौधे के फूल पीले तथा हरे रंग के होते हैं, जो अगस्त से सितंबर के महीने में झड़ जाते हैं।

गुड़मार एक उष्णकटिबंधीय वनों में पाया जाने वाला वृक्ष है जो अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार इस पौधे का वनस्पतिक नाम जिमनामा सिल्वेस्टर है। प्राचीन काल से ही इस प्राकृतिक पौधे का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में अनेक बिमारियों के उपचार में किया जाता रहा है। यह पौधा मूत्राशय रोग ,हृदय रोग और पेट की बिमारियों को दूर करने की रामबाण औषधि माना जाता है। जिन रोगियों को मधुमेह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, उनके लिए गुड़मार बहुत लाभकारी जड़ी बूटी साबित होती है। आयुर्वेद चिकित्सा के अनुसार, इस जड़ी बूटी को मधुनाशिनी के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह शरीर के अंदर शुगर को नष्ट करने में मदद करती है।

गुड़मार के फायदे

गुड़मार के अन्य भाषाओं में नाम

  • लेटिन -जिमनामा सिल्वेस्टर
  • हिंदी - गुरमार
  • अंग्रेजी -
  • ऑस्ट्रेलियाई काउप्लांट, जिमनेमा
  • बंगाली - मेदसिंघी
  • कन्नड़ - मधुनाशिनी
  • कोंकणी - कवली
  • गुजराती - गुड़मार, कवाली
  • मराठी - बेदकिचा फला, कवाली
  • मलयालम - चक्करकोलाई, मधुनाशिनी
  • उड़िया - मरीजोसिंगो
  • तेलुगु - वोडापर्थी, पोडापत्री
  • तमिल - शिरुकुरिंजन
  • उर्दू – सासिंगा

गुड़मार के बारे में आयुर्वेद का एक प्राचीन श्लोक

व्याख्या - इस श्लोक में कहा गया है कि गुड़मार जड़ी बूटी तिक्तरस से युक्त ,वातकारक,रुखा ,विपाक में कटु रसयुक्त एवं श्वास,कास , पित्त दोष ,कफ दोष ,व्रण और नेत्र रोगों को दूर करने वाली होती है ।

Benefits of Gudmar
सन्दर्भ :-- भावप्रकाश निघण्टु ,( गुडुच्यादिवर्ग),श्लोक -253-254 |

गुड़मार के औषधीय गुण

  • रस - तिक्त, कटु, कषाय
  • गुण - लघु,रुक्ष
  • वीर्य - उष्ण
  • विपाक - कटु
  • दोष - वात, कफ

इन सभी गुणों से युक्त इस औषधि को अनेक बिमारियों को ठीक करने के उपयोग में लाया जाता है

शरीर के अंदर तीनों दोषों पर गुड़मार का प्रभाव

आयुर्वेदिक चिकित्सा में यह प्राकृतिक पौधा अपने औषधीय गुणों के लिए प्रयोग किया जाता है। यह व्यक्ति के शरीर में तीनों दोषों (वात ,पित्त और कफ ) को संतुलित रखने में मदद करता है परन्तु मुख्य रूप से यह खराब वात और कफ दोष को संतुलित करता है ।

गुड़मार के आयुर्वेदिक गुण

1. लीवर के लिए लाभकारी

आयुर्वेद के अनुसार अगर कोई व्यक्ति लिवर की समस्या से परेशान है तो उसको गुड़मार की छाल का काढ़ा बनाकर सुबह शाम सेवन करना चाहिए| इसका उपयोग करने से लिवर में जमा हानिकारक बैक्टीरिया मूत्राशय मार्ग से बाहर निकल जाते है|

2. त्वचा रोगों में फायदेमंद

अगर कोई व्यक्ति त्वचा संबधी बीमारी से ग्रस्त हो जैसे दाद, खुजली, शरीर में लाल निशान(चक्क्ते) आदि में उन्हें गुड़मार की छाल का लेप बनाकर त्वचा के प्रभावित भाग पर लगाना चाहिए| यह प्रयोग एक एंटी एलर्जिक के रूप में काम करता है|

3. गठिया रोग में उपयोगी

जब व्यक्ति 40 से 50 उम्र का होता है तो उसे जोड़ो की बिमारियों का सामना करना पड़ता है, जिसे गठिया कहते हैं| इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को गुड़मार की छाल का काढ़ा बनाकर सुबह शाम सेवन करना चाहिए| इसका प्रयोग करने से जोड़ो की दर्द के साथ साथ सूजन को भी कम किया जाता है|

3. पीसीओडी (पोलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम )

आधुनिक चिकित्सा पद्धति के अनुसार यह समस्या महिलाओं की ओवरी से जुडी होती है| इस बीमारी के अंदर महिलाओं के मासिक धर्म अनियमित हो सकते हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए महिलाओं को गुड़मार के काढ़े का सुबह खाली पेट सेवन करना चाहिए। यह प्रयोग मोटापे को बहुत जल्दी कम करने के अलावा शरीर के अंदर पीसीओस को संतुलित बनाए रखता है। आयुर्वेद के अनुसार गुड़मार के अंदर पाया जाने वाला एंटी ऑक्सीडेंट गुण महिलाओं के लिए स्वास्थ्यवर्धक साबित होता है|

4. शुगर को संतुलित रखने में सहायक

मधुमेह की बीमारी में व्यक्ति के शरीर के अंदर रक्त में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ जाती है जिसकी वजह से शुगर असंतुलित हो जाता है। इस बीमारी को दूर करने के लिए हमें गुड़मार की पत्तियों का काढ़ा बनाकर सुबह और शाम सेवन करना चाहिए।

गुड़मार के अन्य लाभकारी आयुर्वेदिक गुण

  • आयुर्वेद में गुड़मार के पत्तों का अर्क नेत्र रोगों में उपयोग किया जाता है। हम गुड़मार के पत्तों का काढ़ा बनाकर सुबह खाली पेट सेवन कर सकते हैं क्योंकि यह मोटापा, पेट से संबंधित रोगों , मूत्राशय मार्ग के संक्रमण और त्वचा रोगों में फायदेमंद है।
  • शरीर के अंदर रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए रोजाना खाली पेट गुड़मार की दो से तीन पत्तियों को चबाना चाहिए|
  • शुगर के मरीज सुबह और शाम रोजाना 3 से 6 ग्राम गुड़मार के चूर्ण को सादे पानी के साथ रोजाना ले सकते हैं।
  • लीवर के स्वास्थ्य को बनाए रखने और भूख को बढ़ाने के लिए रोजाना सुबह और शाम गुड़मार जड़ी बूटी के ताजे रस का सेवन करना लाभकारी साबित होता ।

गुड़मार के पौधे प्रयोज्य अंग

  1. जड़
  2. पत्ते
  3. छाल

इस प्राकृतिक पौधे का अत्यधिक लाभ प्राप्त करने के लिए किसी वैद्य से परामर्श आवश्य करें 

Author's Bio: 

I champion initiatives that build a culture supporting Diversity and Inclusion and teamwork. My background is in Online Advertising and made the switch to the fascinating Localization Industry in 2018, where I hear, one never leaves.